सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

बच्चों से शिष्टाचार की उम्मीद/वागीशा कंटेंट कंपनी

हम अपने बच्चो से हमेशा शिष्टाचार का पालन करने और विनम्र बनने की उम्मीद करते हैं। लेकिन जाने-अनजाने हमारा ही व्यतित्व इन इंसानी गुणों से दूर होता जाता है। बच्चे जब अपने माता-पिता को शिष्टाचार और विनम्रता का पालन करते नहीं देखते तो ये बातें उन्हें किताबी लगने लगती हंै। इसलिए खुद का व्यक्तित्व भी शिष्ट और विनम्र बनाएं ताकि आपके बच्चे भी इस नक्शे-कदम पर चल सकें। शिष्टाचार और विनम्रता सिखाने में स्कूल का भी अहम रोल होता है। इस शिक्षा की जड़ें इतनी गहरी होती हैं कि बच्चे अपने मां-बाप की गलती को सुधार देते हैं और उनके किसी गलत व्यवहार पर उनकी आंखें खोलने वाले उदाहरण पेश कर देते हैं। इस तरह के एक वाकये पर गौर करें। नई दिल्ली के एक नामी प्राइवेट स्कूल की क्लास नवीं में पढऩे वाला बच्चा गणित में सबसे ज्यादा नंबर लाता था। एक बार सेमेस्टर परीक्षा में उसे गणित के टेस्ट में दूसरे नंबर पर आना पड़ा। बच्चे को माता-पिता को आश्चर्य हुआ और उन्होंने दोबारा कॉपी जांच करने की मांग की। कॉपी दोबारा देखी गई। टीचर ने नंबर गलत जोड़े थे। इस वजह से बच्चे के गणित के नंबर कम थे। टीचर से यह गलती भूलवश हुई थी। इसे ठीक कर दिया गया। एक बार फिर उस बच्चे ने गणित में टॉप किया। लेकिन मां-बाप ने अपना अहम तुष्ट करने के लिए प्रिंसिपल के सामने टीचर का खूब अपमान किया। टीचर उनके इस व्यवहार से बेहद दुखी हुए। बच्चे को अपने मां-बाप की ओर से टीचर को लगाई गई इस लताड़ का पता चला। उसे बेहद बुरा लगा। अगले दिन वह स्टाफ रूम में अपने टीचर से मिला और उनसे अपने पैरेंट्स के इस व्यवहार के लिए दिल से माफी मांगी। टीचर के आंखों में आंसू थे। अपने एक सहयोगी से उन्होंने यह वाकया सुनाते हुए यह टिप्पणी की कि अपने बच्चों से शिष्टाचार और विनम्रता की उम्मीद करने वाले मां-बाप खुद अपनी शालीनता भूल जाते हैं।

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